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Tuesday 24 January 2023

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस, 24 जनवरी : जानिए क्या है इसका इतिहास और उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस, 24 जनवरी :  जानिए क्या है इसका इतिहास और उद्देश्य

शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाता है और मनुष्यों को पशुओं से अलग करता है। इसीलिए शिक्षा दुनिया के हर मनुष्य की एक ताकत है। वैश्विक स्तर पर शिक्षा के प्रति जागरुकता फैलाने और सभी तक शिक्षा की पहुच बनाने कि लिए 24 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जा रहा है। यूनेस्को ने वर्ष 2023 के अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम की घोषणा की है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम ‘टू इन्वेस्ट इन पिपुल, प्राइओरिटाइज एजुकेशन’ है। आज हम अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा के अवसर पर इस दिवस के इतिहास और इसके उद्देश्य पर चर्चा करते हैं....

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का उद्देश्य

दुनिया भर के गरीब और वंचित बच्चों को मुफ्त और बुनियादी शिक्षा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। दुनिया में शिक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करने और शिक्षा की महत्ता को बताने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। जबकि शिक्षा समृद्धि का एक ऐसा साधन है जिससे हर किसी का बौद्धिक, आर्थिक और सामाजिक विकास होता है, इसलिए शिक्षा सभी के लिए जरुरी है। दुनिया के तमाम ऐसे देश आज भी है ऐसे है जहां बच्चों को समुचित शिक्षा नही मिल पाती है। इस अवसर पर शिक्षा के सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर कई ग्लोबल इवेंट्स का आयोजन किया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का प्रस्ताव पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में 3 दिसंबर 2018 को पारित किया गया था। इसके बाद शांति और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए UN महासभा ने हर साल 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया। उसी दिन UN के 58 अन्य सदस्य देशोंं द्वारा ‘इंटरनेशनल डे ऑफ एजुकेशन’ को अपनाया गया। पहली बार अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 24 जनवरी 2019 को मनाया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व

अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया के सभी लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक करना और बुनियादी शिक्षा से परिचित कराना है। इस दिन विश्व स्तर पर जीवन में शिक्षा के महत्व का प्रचार - प्रसार किया जाता है। आज के युग में अफगानिस्तान और अफ्रीकी देश के कुछ लोग शिक्षा से वंचित है। इन्हीं सब वजहों से सभी तक शिक्षा को पहुचाने के लिए पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। 2019 से हर साल यूनेस्को 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम की घोषणा करता है।

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली

भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली प्राचीन शिक्षा प्रणाली से कही अलग हो गई है। तकनीकी और बुनियादी शिक्षा के लिए वर्तमान में भारत में नई शिक्षा नीति 2002 लागू की गई है। इसके तहत बच्चों को कौशलपूर्ण शिक्षा प्रदान की जाएगी। आज भारत की शिक्षा व्यवस्था की चर्चा वैश्विक मंच पर की जाती है। भारत में जरूरतमंद बच्चों को बुनियादी पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दिया जाता है ताकि वह पढ़ाई जारी कर सकें। भारत की शिक्षा व्यवस्था वौश्विक स्तर की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों के अनुसार देश की कुल साक्षरता दर 73.0 प्रतिशत है। भारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मुख्य रुप से महिला साक्षरता की तरफ विशेष ध्यान दिया गया है। महिला के साक्षर होने से पूरे समाज का विकास होता है। क्यों कि किसी भी देश के विकास का स्तर उस देश के शैक्षिक एवं बौद्धिक स्तर से मापा जा सकता है। भारत में मुख्य रुप से तकनीकी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है।

भारत में शिक्षा का अधिकार मौलिक आधिकार

भारत में सभी तक तकनीकी और जरुरी शिक्षा पहुचाने के लिए शिक्षा के अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है। वर्ष 2002 में 86वें संवैधानिक संशोधन से शिक्षा के अधिकार को संविधान के भाग- III में एक मौलिक अधिकार के तहत शामिल किया गया है। इसे अनुच्छेद 21A के अंतर्गत जोड़ा गया है। इसके तहत 6-14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। इसके एक अनुवर्ती कानून शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 का भी प्रावधान किया गया है।
(स्रोत : पीबीएनएस)

Wednesday 4 January 2023

पत्रकारिता का उद्भव और विकास





पत्रकारिता का उद्भव और विकास

पत्रकारिता का इतिहास (  History Of Journalism )

 

ActaDiurna (FilePhoto)


     विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन 59 BC में रोम में हुआ था। उस साल पहला दैनिक समाचार-पत्र निकलने लगा। उस का नाम था – Acta Diurna (दिन की घटनाएं)। वास्तव में यह पत्थर की या धातु की पट्टी होता था जिस पर समाचार अंकित होते थे। ये पट्टियां रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं और इन में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं मिलती थीं।
    मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र ‘ निकलने लगे। उन में कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे। लेकिन ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे।
  -15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया। असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया। इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अख़बारों का भी प्रकाशन संभव हो गया।   
 - 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था। लेकिन हाथ से बहुत सी प्रतियों की नकल करने का काम महंगा भी था और धीमा भी। तब वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा। समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’। यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है।



भारत में पत्रकारिता की शुरुआत 

29 जनवरी 1780 को प्रकाशित्तर हुआ भारत में पहला पत्र बंगाल गजट। (फाइल फोटो)


     छापे की पहली मशीन भारत में 1674 में पहुंचायी गयी थी।मगर भारत का पहला अख़बार इस के 100 साल बाद, 1776 में प्रकाशित हुआ। इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स  था। यह अख़बार स्वभावतः अंग्रेज़ी भाषा में निकलता था तथा कंपनी व सरकार के समाचार फैलाता था।
              सब से पहला अख़बार, जिस में विचार स्वतंत्र रूप से व्यक्त किये गये, वह 29 जनवरी 1780 में जेम्स ऑगस्टस हिकी का अख़बार ‘बंगाल गज़ट’ था। अख़बार में दो पन्ने थे और इस में ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर लेख छपते थे। जब हीकी ने अपने अख़बार में गवर्नर की पत्नी का आक्षेप किया तो उसे 4 महीने के लिये जेल भेजा गया और 500 रुपये का जुरमाना लगा दिया गया। लेकिन हीकी शासकों की आलोचना करने से पर्हेज़ नहीं किया। और जब उस ने गवर्नर और सर्वोच्च न्यायाधीश की आलोचना की तो उस पर 5000 रुपये का जुरमाना लगाया गया और एक साल के लिये जेल में डाला गया। इस तरह उस का अख़बार भी बंद हो गया।

- 1790 के बाद भारत में अंग्रेज़ी भाषा की और कुछ अख़बार स्थापित हुए जो अधिक्तर शासन के मुखपत्र थे। पर भारत में प्रकाशित होनेवाले समाचार-पत्र थोड़े-थोड़े दिनों तक ही जीवित रह सके।
- 1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार-पत्र प्रकाशित हुआ था। वह बंगाली भाषा का पत्र – ‘संवाद कौमुदी’ (बुद्धि का चांद) था। उस के प्रकाशक राजा राममोहन राय थे।
- 1822 में गुजराती भाषा का साप्ताहिक ‘मुंबईना समाचार’ प्रकाशित होने लगा, जो दस वर्ष बाद दैनिक हो गया और गुजराती के प्रमुख दैनिक के रूप में आज तक विद्यमान है। भारतीय भाषा का यह सब से पुराना समाचार-पत्र है।
- 1826 में ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। यह साप्ताहिक पत्र 1827 तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया।
- 1830 में राममोहन राय ने बड़ा हिंदी साप्ताहिक ‘बंगदूत’का प्रकाशन शुरू किया। वैसे यह बहुभाषीय पत्र था, जो अंग्रेज़ी, बंगला, हिंदी और फारसी में निकलता था। यह कोलकाता से निकलता था जो अहिंदी क्षेत्र था। इस से पता चलता है कि राममोहन राय हिंदी को कितना महत्व देते थे।
- 1833 में भारत में 20 समाचार-पत्र थे, 1850 में 28 हो गए और 1953 में 35 हो गये। इस तरह अख़बारों की संख्या तो बढ़ी, पर नाममात्र को ही बढ़ी। बहुत से पत्र जल्द ही बंद हो गये। उन की जगह नये निकले। प्रायः समाचार-पत्र कई महीनों से ले कर दो-तीन साल तक जीवित रहे।
 -उस समय भारतीय समाचार-पत्रों की समस्याएं समान थीं। वे नया ज्ञान अपने पाठकों को देना चाहते थे और उसके साथ समाज-सुधार की भावना भी थी। सामाजिक सुधारों को लेकर नये और पुराने विचारवालों में अंतर भी होते थे। इस के कारण नये-नये पत्र निकले। उन के सामने यह समस्या भी थी कि अपने पाठकों को किस भाषा में समाचार और विचार दें। समस्या थी – भाषा शुद्ध हो या सब के लिये सुलभ हो?

- 1846 में राजा शिव प्रसाद ने हिंदी पत्र ‘बनारस अख़बार’ का प्रकाशन शुरू किया। राजा शिव प्रसाद शुद्ध हिंदी का प्रचार करते थे और अपने पत्र के पृष्ठों पर उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो बोल-चाल की हिंदुस्तानी के पक्ष में थे। लेकिन उसी समय के हिंदी लखक भारतेंदु हरिशचंद्र ने ऐसी रचनाएं रचीं जिन की भाषा समृद्ध भी थी और सरल भी। इस तरह उन्होंने आधुनिक हिंदी की नींव रखी है और हिंदी के भविष्य के बारे में हो रहे विवाद को समाप्त कर दिया। 

-1868 में भरतेंदु हरिशचंद्र ने साहित्यिक पत्रिका ‘कविवच सुधा’ निकालना प्रारंभ किया। 1854 में हिंदी का पहला दैनिक ‘समाचार सुधा वर्षण’ निकला।

 हिंदी पत्रकारिता के विकास क्रम को पांच निम्नलिखित भागों में बांट सकते हैं-

1. पूर्व भारतेंदु युग (1826 से 18 66)

2. भारतेंदु युग (1866 से 1885)

3. उत्तर भारतेंदु युग (1888-1902) 

4. द्विवेदी युग (1903-1920)

5. वर्तमान युग (1921 से अब तक)

1. पूर्व भारतेंदु युग (1826 से 1866)

30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड (फाइल फोटो)


- उदंत मार्तंड सर्वमान्य रूप से हिंदी का पहला समाचार पत्र हैं जो 30 मई 1826 में प्रकाशित हुआ लेकिन कुछ समय के बाद धन के अभाव के कारण 11 दिसंबर 1827 में बंद हो गया। 
-इस युग का दूसरा महत्वपूर्ण पत्र बंग दूत था जो 10 मई 1829 में कोलकाता से ही प्रकाशित हुआ यह एक सप्ताहिक समाचार पत्र था हिंदी के अतिरिक्त यह अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी में भी प्रकाशित होता था।
- हिंदी समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले 'प्रजा मिश्र' का नाम उल्लेखनीय है यह 1834 में कोलकाता से निकला।
- बनारस अखबार बनारस से 1845 में प्रकाशित हुआ, पहली बार इस समाचार पत्र में हिंदुस्तानी भाषा का प्रयोग किया गया। इसके संपादक तारा मोहन मिश्रित है ऐसा माना जाता है कि अंग्रेजी शब्दों की हिंदी वर्तनी पहली बार किसी समाचार पत्र में प्रयोग की गई। 
-बनारस से ही 1846 में सुधाकर प्रकाशित हुआ यह अखबार हिंदी का पहला ऐसा अखबार माना जाता है जिसमें एक ही स्थान हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी, बांग्ला, उर्दू तथा फारसी भाषाओं के अलग-अलग पृष्ठ प्रकाशित होते थे। यह 10 पृष्ठों का अखबार था और इसे तब तक का सबसे अधिक पृष्ठ वाला अखबार होने का श्रेय भी जाता है।
- 1849 में मलावा अखबार नाम एक और अखबार प्रकाशित होता था। 
-1850 में सम्य दण्ड मार्तंड 1852 में बुद्धि प्रकाश 1853 में ग्वालियर गजट आदि उस समय के कुछ महत्वपूर्ण समाचार पत्र थे। 
- हिंदी का प्रथम दैनिक समाचार पत्र सुधावर्षन है, यह  1845 में कोलकाता से प्रकाशित हुआ यह समाचार पत्र 1868 तक नियमित रूप से प्रकाशित होता रहा पर बाद में अर्थाभाव में इसके प्रकाशन को बंद करना पड़ा हिंदी का दूसरा दैनिक समाचार पत्र तत्वबोधिनी था यह भी कोलकाता से प्रकाशित हुआ इसके संपादक थे गुलाब शंकर हिंदी पत्रकारिता के इस युग में उर्दू अखबारों की संख्या बहुत अधिक थी। सरकार की हिंदी विरोधी नीति के कारण हिंदी के समाचार पत्रों को आर्थिक कठिनाइयां झेलनी पड़ती थी हिंदी में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों की संख्या बहुत अधिक होने के बाद भी यह अधिक समय तक नियमित रूप से प्रकाशित नहीं हो पाये। इस योग को हिंदी पत्रकारिता का प्रयोग काल कहा जा सकता है। भारतेंदु युग के पूर्व हिंदी समाचार पत्रों का उदय हो चुका था पर प्रतिकूल वातावरण साधनों एवं सहायकों के अभाव तथा अपेक्षित संख्या में पाठक उपलब्ध नहीं होने के कारण इनमें से अधिकांश बंद हो गए।

2. भारतेंदु युग (1866 से 1885)

इस युग में बहुत बड़ी संख्या में पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ हुआ। 1867 में भारतेंदु ने बनारस से कवि वचन सुधा का प्रकाशित किया इसकी गिनती हिंदी में प्रकाशित समाचार पत्रों में सबसे महत्वपूर्ण समाचार पत्र के रूप में की जाती है प्रकाशन के प्रारंभिक काल में यह एक मासिक समाचार पत्र था जो बाद में सप्ताह ही किया गया अपने नाम के अनुरूप इसमें कविता के प्रमुखता दी जाती थी और समाचारों की संख्या सीमित होती थी। पर बाद में समाचारों के साथ-साथ इसमें समाचार आधारित लेख आलेख टिप्पणियां और विश्लेषण आदि प्रकाशित होने लगे। इस में प्रकाशित होने वाले सामग्री अपने समय से कई साल आगे का था इसीलिए प्रबुद्ध वर्ग में इसकी प्रसार संख्या तेजी से आगे बढ़ी 1871 में सदानंद सनवाल ने अलमोड़ा अखबार का प्रकाशन किया और अट्ठारह सौ बहत्तर में पंडित केशव रामभाट्ट ने कलकाता से बिहार बंधु का प्रकाशन संबंधी ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि इन में प्रकाशित समाचार बहुत ज्यादा पुराने और अक्सर अनुपयोगी होते थे स्थान भरने के उद्देश्य से कई बार व्यक्तिगत बातों को भी समाचार के रूप प्रस्तुत कर दिया जाता था इसका प्रकाशन अधिक समय तक संभव नहीं हो सका।
 कवि वचन सुधा के अनुकरण पर हिंदू और ज्ञान प्रदायनी नाम से दो समाचार पत्र प्रकाशित हुए परंतु पाठकों की संख्या नहीं बढ़ा पाने के कारण इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा इसी समय में 1873 में हरिश्चंद्र मैगजीन का प्रकाशन हुआ जिसे एक प्रकार से समाचार पत्रिका माना जा सकता है। इसमें प्रकाशित सामग्री उच्च कोटि की होती थी परंतु व्यवहारिक तौर पर इसमें समाचार के बदले समाचार पर आधारित लेख आलेख टिप्पणियां विचार और विश्लेषण आदि दिए जाते थे। कभी-कभी दो या चार समाचारों पर ही पूरी पत्रिका केंद्रित रहते थे। समाचार की दृष्टि से इसका महत्व इसी अर्थ में कम हो जाता था। इसीलिए केवल 8 अंकों के बाद इसका प्रकाशन बंद हो गया। 1874 में भारतेंदु द्वारा बालबोधिनी, हरिश्चंद्र चंद्रिका और स्त्री जन प्यारी इन तीन समाचार पत्रों का प्रकाशन आरंभ किया गया इसका उद्देश्य अलग-अलग आयु वर्ग के पाठकों के लिए उपयुक्त समाचार सामग्री प्रस्तुत करना था। बालबोधिनी जहां किशोर वाय पाठकों का समाचार पत्र था वही स्त्री जन की प्यारी में महिलाओं से संबंधित समाचार प्रमुखता के साथ प्रकाशित किए जाते थे। इन समाचार पत्रों के महत्व और उद्देश्यों को देखते हुए प्रारंभिक तौर पर इन्हें सरकार से आर्थिक सहायता मिलती रही। परंतु बाद में इन समाचार पत्रों में निर्भीकता के साथ सरकार के विरोध लेख और समाचार आदि प्रकाशित होने लगे इसलिए सरकारी सहायता बंद कर दी गई और इन अखबारों को बंद करना पड़ा 1876 में काशी पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ समाचार पत्र होने के कारण बाद में भी इसे पत्रिका का दर्जा इसलिए दिया गया कि इसका प्रकाशन अनियमित था। पृष्ठों की संख्या भी कम और ज्यादा होती रहती थी 1877 में बालकृष्ण भट्ट द्वारा हिंदी प्रदीप का प्रकाशन हुआ हिंदी पत्रकारिता के इतिहास का इससे मील स्तंभ माना जाता है क्योंकि यह तब तक का पहला समाचार पत्र था जो लगातार 25 वर्ष से ज्यादा नियमित रूप से प्रकाशित होता रहा। हिंदी प्रदीप लगातार 33 वर्ष जीवित रहा बीच में कुछ वर्ष बंद रहने के बाद इसका पूर्ण प्रकाशन हुआ और इसने 8 दशकों का सफर तय किया। 
1878 में कलकाता से भारत मित्र का प्रकाशन शुरू हुआ हिंदी पत्रकारिता का यह अत्यंत महत्वपूर्ण समाचार पत्र था क्योंकि इसमें पहली बार समाचार पत्र के स्थान मूल्य संपादक का नाम आदि बातों का उल्लेख किया जाने लगा। इस समाचार पत्र में राजनैतिक और सामाजिक विषयों के अतिरिक्त हास्य और मनोरंजन की सामग्री भी प्रस्तुत की जाती थी। इसमें पहली बार फिल्म जगत से जुड़ी खबरें प्रकाशित हुई 18 79 पर सुधा निधिक यह उदयपुर के राजाओं के सहयोग से 12 वर्षों तक प्रकाशित रहा इसमें प्रकाशित सामग्री नवीनतम जानकारी से पूर्ण और महत्वपूर्ण होते थी परंतु अपने अत्यंत कठिन भाषा के कारण यह समाचार पत्र आम लोगों अधिक लोकप्रिय नहीं हो सका प्रभुत वर्ग ने इसे सराहा लेकिन प्रसार संख्या नहीं बढ़ने के कारण इसका प्रकाशन बंद हो गया। 1880 के बाद के समय में जो समाचार प्रकाशित हुए हैं उनमें से कुछ महत्वपूर्ण उचित वक्ता, सजन कृर्ति, सुधाकर, क्षत्रिय पत्रिका, आनंद कदंबिनी, वैष्णव, ब्राह्मण और हिंदुस्तान आदि इस काल में अनगिनत पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में पत्रकारिता काल में परिपक्वता आती गई समाचार पत्रों के प्रकाशन की दृष्टि से इसे सबसे समृद्ध युग माना जाता है। इस युग में 200 से भी अधिक समाचार पत्रों का आरंभ हुआ।

3. उत्तर भारतेंदु युग (1888-1902) 

उत्तर भारतेंदु युग 1889 में अजमेर से राजस्थान समाचार का प्रकाशन आरंभ हुआ यह स्वामी दयानंद के विचारों और सिद्धांतों का प्रचारक माना जाता था। इसके बाद 1890 में सर्वहित और हिंदी में बंगवासी का प्रकाशन हुआ 1888-1889 के बीच महिला पाठकों के लिए सुगृहिणी और भारत भगिणी जैसे समाचार पत्र प्रकाशित हुए परंतु यह दोनों समाचार पत्र के युग में वस्तुत: महिला पत्रिकाएं थी भारतेंदु और उत्तर भारतेंदु में प्रकाशित होने वाली पर पत्रिकाओं की संख्या करीब 500 थी। उस समय दैनिक पत्र की मांग और साप्ताहिक की मांग अधिक थी इस पूरे काल में खंड का आदर्श भारतेंदु की पत्रकारिता थी इस काल में प्रकाशित सभी समाचार पत्र किसी ना किसी रूप में भारतेंदु की पत्रकारिता से प्रभावित रहे। डॉ राम रतन भटनागर ने इसे हिंदी पत्रकारिता के विकास का प्रकाशन काल माना है। इसी काल में पत्रकारिता साहित्य से अलग एक विद्या के रूप में विकसित हुई भारतेंदु ने ही सामाजिक राजनीतिक और साहित्यिक विचार धाराओं का अलग-अलग विकास किया पत्रकारिता को धर्म के प्रचार से अलग किया इसी कालखंड में हिंदी पत्रकारिता में उन्नति के शिखर को छूने का प्रयास किया।

4. द्विवेदी युग (1903-1920)

सन् 1900 में सरस्वती मासिक पत्रिका का आरंभ हुआ इसके साथ ही हिंदी पत्रकारिता का दृष्टि से हिंदी पत्रकारिता पहले से अधिक समृद्ध हुई इस काल में मैथिली निराला प्रेमचंद प्रसाद गणेश शंकर विद्यार्थी आदि ने हिंदी पत्रकारिता को एक नया स्वरूप प्रदान किया इस युग में पत्रकारिता की विविधता और बहुरुपता में विकास हुआ धार्मिक तथा सामाजिक सुधार आंदोलन के बदले राजनीतिक और साहित्यिक चेतना ने उसका स्थान ग्रहण कर लिया। 1907 में अभ्युदय पत्र निकला स्वराज्य सैनिक संदेश नवशक्ति जैसे समाचार पत्रों और सप्ताहिक पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ हुआ 1914 में कलकाता समाचार 1917 में विश्वमित्र 1915 में विज्ञान आदि का प्रकाशन हुआ साहित्यिक चेतना के दृष्टि से इस युग को साहित्यिक पत्रकारिता का शीर्ष युग कहा जा सकता है। यद्यपि इस युग का राजनैतिक नेतृत्व मुख्यता बांग्ला तथा मराठी समाचार पत्रों के हाथ में रहा किंतु हिंदी पत्रकारिता में अभ्युदय प्रताप कर्म योगी और हिंदी केसरी आदि ने उसी दिशा में महत्वपूर्ण उत्तर दायित्व निभाया। इस योग के अनेक साहित्यकारों ने पत्रकारिता के जगत में बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाई भाषा सीखने के लिए समाचार पत्रों का सहारा लेने का धरणा भी इसी युग में स्थापित हुई।

5. वर्तमान युग (1921 से अब तक)

राजनीतिक चेतना के स्वरूप 1921 से हिंदी पत्रकारिता ने भी करवत ली गांधी के अगमन हिंदी को विश्वविद्यालय में स्थान मिला राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रतिष्ठा और स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन की प्रगति आदि के कारण इस युग की हिंदी पत्रकारिता ने अपने विशिष्ट और महत्व को और अधिक स्थापित किया 1921 में माधुरी नामक पत्रिका का प्रकाशन हुआ यह पत्रिका होने के बाद भी पत्रकारिता से जुड़े लगभग सभी प्रमुख मुद्दों को उठाती रही। इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी की उस दौर में श्री शरदा और मनुरमा सहित लगभग दो दर्जन पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ हुआ जिनमें समाचार आधारित विवरण समीक्षा और विश्लेषण आदि प्रकाशित होते थे। 1923 में चांद का प्रकाशन हुआ फांसी अंक स्वाधीनता अंक और नवजागरण अंक इत्यादि इतिहास के अंक बन गए बात में महादेवी वर्मा भी इसकी संपादक बनी और उस दौरान महिला अपर आधारित के महत्वपूर्ण अंक प्रकाशित हुए इस युग की पत्रिकाओं का भी हिंदी पत्रकारिता में महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इनमें साहित्यिक विधाओं के साथ-साथ राजनैतिक सामाजिक धार्मिक या अन्य समसामयिक विषयों और समस्याओं संबंधित विषम प्रकाशित होते थे।
भारत के  समाचार पत्रों की सूची
बंगाल गजट (1780)---बंगाल गजट, एशिया व भारत का प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी भाषा का पहला समाचार पत्र था. यह सप्ताहिक पत्र था जो कोलकाता में सन 1780 में आरंभ किया गया था. इसके प्रकाशक जेम्स आगस्टस हिक्की थे. अख़बार में दो पन्ने थे और इसमें ईस्ट इंडिया कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की व्यक्तिगत जीवन पर लेख छपते थे। यह अखबार दो साल के लिए प्रकाशित हुआ था. इस समाचार पत्र में कम्पनी व सरकार की आलोचना की गई थी, जिस कारण उनका प्रेस जब्त कर लिया गया।इसे ‘कलकत्ता जनरल एडवरटाईजर्स’ भी कहा जाता था। लोग आज इसे ‘हिक्की गैजेट’ के रूप में याद करते हैं।
बॉम्बे हेराल्ड (1789)---बॉम्बे का पहला अखबार ‘बॉम्बे हेराल्ड’ था जो 1789 में प्रकाशित हुआ था। 1790 में ‘ बाम्बे कुरियर ‘ लंकेश बर्नर द्वारा प्रकाशित किया गया। बाद में इसका नाम बदल कर ‘बाम्बे टाइम्स ‘ कर दिया गया । यह पहला अख़बार था जिसमे गुजराती भाषा में विज्ञापन छापते थे।
समाचार दर्पण (1818)----23 मई 1818 में भारत का पहला दैनिक समाचार पत्र ‘समाचार दर्पण ‘ बंगला में प्रकाशित हुआ। .यह पहले दिग्दर्शन नामक पत्र बंगाल भाषा में छपा जो बाद में समाचार दर्पण के नाम से साप्ताहिक रूप में प्रकाशित होने लगा। इसके संपादक जे .सी मार्शमैन थे जो एक पादरी थे। इस पत्र में स्थानीय औऱ विदेशी खबरें अंग्रेजी और बांग्ला में प्रकाशित होती थी, जिन्हें जन सामान्य भी पढ़ते थे।
संवाद कौमुदी (1821)---1821 ई. में बंगाली भाषा में साप्ताहिक समाचार पत्र ‘संवाद कौमुदी’ का प्रकाशन हुआ। इस समाचार पत्र का प्रबन्ध राजा राममोहन राय के हाथों में था। यह राजनीतिक नहीं समाजिक समस्याओं को लेकर चलनेवाली पत्रिका थी जिसका मुख्य उद्धेश्य समाजिक कुरीतियों को मिटाना, सती प्रथा जैसी रूढ़ि़ का खण्डन करना था।
बॉम्बे समाचार (1822)---बॉम्बे समाचार यानि अब मुंबई समाचार, भारत में सबसे पुराना लगातार प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र जो पहली बार जुलाई 1822 में फ़ार्दुनजी मुरज़बान द्वारा प्रकाशित हुआ था । वे बॉम्बे में वर्नाकुलर प्रेस के एक अग्रणी थे। यह गुजराती और अंग्रेजी में प्रकाशित होता था। यह समाचार पत्र आज भी प्रकाशित होता है।
मिरत-उल- अखबार (1822)---राजा राममोहन राय ने अपने विचारों को व्यापक बनाने के लिए फारसी भाषा में मिरत उल अखबार अप्रैल, 1822 में प्रकाशित किया व अंग्रेज़ी भाषा में ‘ब्राह्मनिकल मैगजीन’ का प्रकाशन किया। एडम्स द्वारा समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबन्ध व ब्रिटीश सरकार की दमननीति के कारण अख़बार बन्द हो गया।
उदन्त मार्तंड (1826)---1826 में हिंदी का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तंड ‘का प्रकाशन जुगुल किशोर शुक्ल के संपादन में शुरू हुआ जो कलकत्ता से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू हुआ था। उदन्त का अर्थ समाचार होता है। परन्तु यह साप्ताहिक पत्र 1827 तक चला और पैसे की कमी के कारण बंद हो गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया (1838)---द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया भारत में प्रकाशित एक अंग्रेज़ी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। 3 नवंबर, 1838 – टाइम्स ऑफ इंडिया ने बॉम्बे टाइम्स और जर्नल ऑफ कॉमर्स के रूप में अपना पहला संस्करण जारी किया। इसका प्रबन्धन और स्वामित्व बेनेट कोलेमन एंड कम्पनी लिमिटेड के द्वारा किया जाता है। यह समूह इकॉनॉमिक टाइम्स, मुंबई मिरर, नवभारत टाइम्स , दी महाराष्ट्र टाइम्स का भी प्रकाशन करता है। अब, 150 से अधिक वर्षों की सेवा टाइम्स ऑफ इंडिया देश में सबसे बड़ी अंग्रेजी दैनिक बन गई है।
द स्टेट्समैन (1875)---द स्टेट्समैन 1875 में स्थापित अंग्रेजी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है जो भारत के पश्चिम बंगाल के प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्रों में से एक है। यह अखबार रॉबर्ट नाइट द्वारा शुरू किया गया था, जो पहले टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रमुख संस्थापक और संपादक थे। द स्टेट्समैन कोलकाता, नई दिल्ली, सिलीगुड़ी और भुवनेश्वर से एक साथ प्रकाशित किया जाता है। इसका स्वामित्व द स्टेट्समैन लिमिटेड के पास है और यह एशिया न्यूज नेटवर्क का सदस्य है।
आनंद बाजार पत्रिका (1876)---आनंद बाजार पत्रिका ABP समूह के स्वामित्व वाला एक भारतीय बंगाली भाषा का एक समाचार पत्र है जिसका प्रकाशन कोलकाता, नई दिल्ली एवं मुम्बई से एक साथ होता है। 1876 में सिसिर कुमार घोष द्वारा पहली बार प्रकाशित किया गया था लेकिन 1922 में इस अखबार को फिर से शुरू किया गया
द हिंदू (1878)---द हिन्दू मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पढ़ा जाता है और केरल एवं तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला अंग्रेज़ी दैनिक समाचार पत्र है जो 1878 में एक साप्ताहिक के रूप में शुरू किया गया था और 1889 में दैनिक बन गया जिसका स्वामित्व द हिंदू ग्रुप के पास है। इसका मुख्यालय चेन्नई में है । मार्च 2018 तक, द हिंदू 11 राज्यों में 21 स्थानों से प्रकाशित हुआ है। वर्ष 1995 में अपना ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध करवाने वाला, द हिन्दू प्रथम भारतीय समाचार पत्र है।
केसरी (1881)---केसरी एक मराठी समाचार पत्र है जिसकी स्थापना 1881 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी। इस समाचारपत्र का उपयोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को आवाज देने के लिये की गयी थी। यह समाचारपत्र आज भी तिलक जी के वंशजों एवं केसरी मराठा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित होता है। केसरी में “देश का दुर्भाग्य” नामक शीर्षक से लेख लिखा गया जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया फिर तिलक जी को भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के अंतर्गत राजद्रोह के अभियोग में 27 जुलाई 1897 को गिरफ्तार कर लिया गया।
द ट्रिब्यून (1881)---द ट्रिब्यून एक अंग्रेजी भाषा का भारतीय दैनिक समाचार पत्र है जो चंडीगढ़, नई दिल्ली, जालंधर, देहरादून और बठिंडा से प्रकाशित होता है। यह 2 फ़रवरी 1881 को, लाहौर (अब पाकिस्तान में) में एक परोपकारी सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा स्थापित किया गया था। यह ट्रस्ट पांच न्यासियों द्वारा चलाया जाता है. डॉ हरीश खरे ट्रिब्यून समूह के समाचार पत्रों के मुख्य संपादक हैं.
मलयाला मनोरमा (1890)---मलयाला मनोरमा मलयालम में Morning Newspaper है, जो मलयाला मनोरमा कंपनी लिमिटेड द्वारा केरल के कोट्टायम से प्रकाशित होता है। मम्मेन मैथ्यू की अध्यक्षता में यह पहली बार 22 मार्च 1890 को एक साप्ताहिक के रूप में प्रकाशित हुआ था। वर्तमान में मनोरमा ने एक ऑनलाइन संस्करण भी प्रकाशित किया है।
बॉम्बे क्रॉनिकल (1910)---बॉम्बे क्रॉनिकल एक अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र था, जो मुंबई से प्रकाशित होता था. 1910 में सर फिरोजशाह मेहता द्वारा शुरू किया गया था, जो एक प्रमुख वकील थे, जो बाद में 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। यह अपने समय का एक महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी समाचार पत्र था। 1913 से 1919 तक इसे B. G. Horniman द्वारा संपादित किया गया था। सबसे प्रसिद्ध संपादक में से एक सैयद अब्दुल्ला बरेलवी भी थे जिसने दशकों तक बॉम्बे क्रॉनिकल्स के जहाज को चलाया और हार्ट अटैक की वजह से उनकी मौत हो गई फिर बॉम्बे क्रॉनिकल की गुणवत्ता गिर गई। इस कारण 1959 में अखबार बंद हो गया।
द लीडर (1910)--द लीडर समाचार पत्र ब्रिटिश राज के दौरान अंग्रेजी भाषा के सबसे प्रभावशाली समाचार पत्रों में से एक था जिसका प्रारंभ मदन मोहन मालवीय जी ने ‘अभ्युदय‘के पश्चात् 24 अक्टूबर, 1910 को किया था। ‘लीडर’ के हिन्दी संस्करण ‘भारत’ का आरम्भ सन् 1921 में हुआ। मालवीय जी ‘लीडर‘ के प्रति सदा संवेदनशील रहे, डेढ़ वर्ष बीतते-बीतते ‘लीडर‘ घाटे की स्थिति में जा पहुंचा। महामना उस दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लिए धन एकत्र करने में लगे हुए थे, जब ‘लीडर‘ के संचालकों ने मालवीय जी को घाटे की स्थिति से अवगत कराया तो वे विचलित हो उठे। उन्होंने कहा कि, ‘‘मैं लीडर को मरने नहीं दूंगा।‘‘ काशी विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्य बीच में ही रोककर मालवीय जी ‘लीडर‘ के लिए आर्थिक व्यवस्था के कार्य में जुट गए। पहली झोली उन्होंने अपनी पत्नी के आगे यह कहते हुए फैलाई कि ‘‘यह मत समझो कि तुम्हारे चार ही पुत्र हैं। दैनिक लीडर तुम्हारा पांचवां पुत्र है। अर्थहीनता के कारण यह संकट में पड़ गया है। तो क्या मैं पिता के नाते उसे मरते हुए देख सकता हूं।‘‘ मालवीय जी के अथक प्रयासों से ‘लीडर’ बच गया।
यंग इण्डिया (1919)---1919 में गाँधी जी ने ‘यंग इण्डिया’ का प्रकाशन शुरू किया। इस पत्र के माध्यम से गाँधी जी अपने राजनीतिक दर्शन, कार्यक्रम और नीतियों का प्रचार किया करते थे। उन्होंने आंदोलनों के आयोजन में अहिंसा के उपयोग के बारे में अपनी अनूठी विचारधारा और विचारों को फैलाने के लिए यंग इंडिया का इस्तेमाल किया और ब्रिटेन से भारत की अंतिम स्वतंत्रता के लिए पाठकों को विचार करने, संगठित करने और योजना बनाने का आग्रह किया।
मातृभूमि (1923)---मातृभूमि एक मलयालम समाचार पत्र है जो भारत के केरल से प्रकाशित होता है। इसकी स्थापना अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय स्वयंसेवक के. पी केशव मेनन ने की थी।ब्रिटिश पुलिस द्वारा पहली बार महात्मा गांधी की गिरफ्तारी की पहली वर्षगांठ से एक दिन पहले – 18 मार्च 1923 को मातृभूमि की पहली प्रति प्रकाशित की गई थी। यह केरल में दूसरा सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र है।
हिंदुस्तान टाइम्स (1924)---हिंदुस्तान टाइम्स अंग्रेजी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है जिसे 1924 में महात्मा गांधी द्वारा उद्घाटन किया गया, इस अखबार ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक राष्ट्रवादी और कांग्रेस-दैनिक के रूप में अभिन्न भूमिकाएँ निभाईं। अखबार शोभाना भारतीय के स्वामित्व में है। यह HT मीडिया का प्रमुख प्रकाशन है, जो केके बिड़ला परिवार द्वारा नियंत्रित इकाई है। द इंडियन रीडरशिप सर्वे 2014 ने खुलासा किया कि टाइम्स ऑफ इंडिया के बाद भारत में एचटी दूसरा सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अंग्रेजी अखबार है। यह अखबार नई दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना, रांची और चंडीगढ़ से एक साथ संस्करणों के साथ उत्तर भारत में लोकप्रिय है।
डेक्कन क्रॉनिकल (1930)---डेक्कन क्रॉनिकल 1930 के दशक में राजगोपाल मुदलियार द्वारा स्थापित और वर्तमान में SREI के स्वामित्व में स्थापित एक भारतीय अंग्रेजी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है। यह डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स लिमिटेड (DCHL) द्वारा हैदराबाद, तेलंगाना में प्रकाशित होता है। अखबार का नाम Deccan भारत के Deccan क्षेत्रों से originate हुआ है। डेक्कन क्रॉनिकल के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में आठ संस्करण हैं। वे चेन्नई, बेंगलुरु और कोच्चि से भी प्रकाशित होते हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस (1932)---द इंडियन एक्सप्रेस एक अंग्रेजी भाषा का भारतीय दैनिक समाचार पत्र है। यह इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप द्वारा मुंबई में प्रकाशित किया जाता है। रामनाथ गोयनका द इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र के प्रकाशक थे। उन्होंने 1932 में द इंडियन एक्सप्रेस लॉन्च किया और विभिन्न अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा प्रकाशनों के साथ इंडियन एक्सप्रेस समूह बनाया। 1999 में, समूह के संस्थापक रामनाथ गोयनका की 1991 में मृत्यु के आठ साल बाद, समूह परिवार के सदस्यों के बीच बंट गया।
साकाल (1932)---साकाल मराठी भाषा में Sakal Media Group का दैनिक समाचार पत्र है जिसके संस्थापक नानासाहेब परुलेकर थे। यह अखबार भारत के शीर्ष 10 भाषा दैनिक समाचार पत्रों में शुमार है। सन् 1985 से प्रताप गोविंदराव पवार सकाल बोर्ड में हैं और वर्तमान में समूह के अध्यक्ष हैं। ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन (एबीसी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, साकल लगभग 1.3 मिलियन के दैनिक प्रसार के साथ महाराष्ट्र में सबसे अधिक सर्कुलेशन और सबसे अधिक बिकने वाला समाचार पत्र है।
हरिजन (1933)----महात्मा गांधी ने 1933 में अंग्रेजी में एक साप्ताहिक समाचार पत्र हरिजन का प्रकाशन शुरू किया। इसे अलग अलग भाषाओ में प्रकाशित किया गया था। इसमें इस सामाजिक बुराई के लिये वे नियमित लेख लिखते थे और यह 1948 तक चला। इस दौरान उन्होंने गुजराती में हरिजन बंधु, और हिंदी में हरिजन सेवक भी प्रकाशित किया।
हिंदुस्तान (1936)---हिन्दुस्तान हिन्दी भाषा का दैनिक समाचार पत्र है और भारत में चौथा सबसे बड़ा समाचार पत्र है जो मदन मोहन मालवीय ने इसे 1936 में लॉन्च किया। इसे हिंदुस्तान मीडिया वेंचर्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित किया जाता है। इससे पहले यह एचटी मीडिया लिमिटेड समूह का हिस्सा था। आपको ये भी बता दें कि 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन छिड़ने पर `हिन्दुस्तान’ अखबार लगभग 6 माह तक बन्द रहा औऱ यह सेंसरशिप के विरोध में था।
द नेशनल हेराल्ड (1938)---द नेशनल हेराल्ड, द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित एक भारतीय समाचार पत्र है। इसकी स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में की थी। इसे ब्रिटिश सरकार ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान प्रतिबंधित कर दिया था। यह ब्रिटिश राज के अंत के बाद भारत में प्रमुख अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्रों में से एक था, और कभी-कभी नेहरू द्वारा ओप-एड प्रकाशित किया जाता था। अखबार ने वित्तीय कारणों से 2008 में परिचालन बंद कर दिया। 2016 में, इसे डिजिटल प्रकाशन के रूप में रीलॉन्च किया गया था।
दैनिक जागरण (1942)---दैनिक जागरण उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र है। 1942 में झाँसी से दैनिक जागरण का प्रकाशन शुरू हुआ औऱ इसका श्रेय आक्रामक स्वतन्त्रता सेनानी श्री पूर्णचन्द्र गुप्त को जाता है। बाद में 1947 से यह कानपुर से प्रकाशित होने लगा जो आज भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। 
लोकसत्ता (1948)---लोकसत्ता महाराष्ट्र में एक मराठी दैनिक समाचार पत्र है जिसे 14 जनवरी 1948 को लॉन्च किया गया था। यह अखबार द इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा प्रकाशित किया जाता है और इस समूह के संस्थापक रामनाथ गोयनका, लोकसत्ता के लिए हमेशा से ही समर्पित रहे। लोकसत्ता ने महात्मा गांधी की हत्या और उसके बाद के घटनाक्रमों के कवरेज के माध्यम से लोकप्रियता प्राप्त की।
अमर उजाला (1948)---आगरा से 1948 से प्रारंभ अमर उजाला के वर्तमान छह राज्यों एवं दो केद्रीं शासित प्रदेश में 21 संस्करण हैं। 
दैनिक भास्कर (1958)---1958 में दैनिक भास्कर का प्रकाशन शुरू हुआ। इसे पहली बार भोपाल और ग्वालियर से एक साथ प्रकाशित किया गया था।दैनिक भास्‍कर भारत का एक प्रमुख हिंदी दैनिक समाचारपत्र है।इसका नाम शुरूआत में सुबह सवेरे फिर भास्कर समाचार रख दिया गया था, वर्ष 2010 में इसका नाम पुनः परिवर्तित कर दैनिक भास्कर रखा गया, जो वर्तमान में भी है। 2015 में यह देश का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला समाचार-पत्र बना।
द इकॉनॉमिक टाइम्स (1961)---द इकॉनॉमिक टाइम्स एक अंग्रेजी-भाषा दैनिक अखबार है जिसका मुख्यालय मुंबई में द टाइम्स ऑफ इंडिया की इमारत में स्थित है। बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड द्वारा प्रकाशित द इकोनॉमिक टाइम्स ने 1961 में प्रकाशन शुरू किया था जिसके संस्थापक संपादक पी एस हरिहरन थे और वर्तमान में द इकोनॉमिक टाइम्स के संपादक बोधिसत्व गांगुली हैं।
ईनाडु (1974)---ईनाडु तेलगु भाषी में पढ़़ा जानेवाला दैनिक समाचार पत्र है जो भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य से सर्कुलेट होता है। ईनाडु की स्थापना 1974 में भारतीय मीडिया बैरन रामोजी राव ने की थी। ईनाडू ने अन्य बाजारों में भी तेजी से विस्तार किए हैं जैसे वित्त और चिट फंड में मार्गदार्सी चिट्स, खाद्य पदार्थ में प्रिया फूड्स, फिल्म निर्माण में उषा किरण फिल्म्स, फिल्म वितरण में मयूरी फिल्म्स, और टेलीविजन चैनलों में ईटीवी।
द टेलीग्राफ (1982)
द टेलीग्राफ एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र है जो 7 जुलाई 1982 से कोलकाता में पहली बार प्रकाशित हुआ था। यह अखबार एबीपी समूह द्वारा प्रकाशित किया जाता है और अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ प्रतिस्पर्धा करता है। टेलीग्राफ का प्रकाशन मीडिया समूह आनंद पब्लिशर्स द्वारा किया जाता है जो एबीपी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा हुआ है।
जनसत्ता (1983)----जनसत्ता इंडियन एक्सप्रेस समूह का हिन्दी अख़बार है। इसकी स्थापना इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के संपादक प्रभाष जोशी ने की थी। 1983 में शुरू हुए यह अखबार कई व्यापक रूप से परिचालित दैनिक समाचार पत्रों को प्रकाशित करता है, जिसमें द इंडियन एक्सप्रेस और द फाइनेंशियल एक्सप्रेस अंग्रेजी में, मराठी में लोकसत्ता और हिंदी में जनसत्ता शामिल हैं। उनके बाद इसके संपादक बने राहुल देव। हालांकि बाद में संपादक बने ओम थानवी ने प्रभाष जोशी के नजदीकी लोगों को ही निबटा दिया।
मेल टुडे (2007)---मेल टुडे राजनीति, मनोरंजन, सिनेमा, ऑटोमोबाइल, फैशन और जीवन शैली की कहानियों को कवर करने वाला दैनिक अखबार है। इसकी स्थापना नवंबर 2007 में हुई थी। यह इंडिया टुडे ग्रुप द्वारा ब्रिटिश अखबार डेली मेल के साथ joint venture में प्रकाशित होता है।

      स्रोतः हिंदी पत्र का वृहद इतिहास, अर्जुन तिवारी, हिंदी पत्रकारिता का इतिहास, जगदीश्वर चतुर्वेदी, https://www.hindikeguru.com

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